

सिद्धार्थनगर ज़ोन में काला नमक चावल की हार्वेस्टिंग शुरू हो चुकी है।
खेतों में सुगंधित धान की बालियाँ पककर तैयार हैं और किसान अब कटाई के अंतिम चरण में पहुँच चुके हैं।
काला नमक चावल पूर्वांचल की शान
काला नमक चावल, जिसे ‘ब्लैक सॉल्ट राइस’ या ‘चमत्कारी चावल’ भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर और महाराजगंज ज़िलों की पारंपरिक और ऐतिहासिक धरोहर है। इसकी खासियत इसके प्राकृतिक सुगंध, उच्च पोषक तत्व, और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स में है, जो इसे सामान्य चावल से अलग बनाती है।
काला नमक चावल की प्रमुख विशेषताएँ
-
प्राकृतिक सुगंध: पकने पर हल्की मीठी और अनोखी खुशबू।
-
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: आयरन, जिंक और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर।
-
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स: डायबिटीज़ के मरीजों के लिए बेहतर विकल्प।
-
ऑर्गेनिक खेती: पारंपरिक तरीके से रासायनिक खादों के बिना उगाया जाता है।
- इतिहास से जुड़ा: यह चावल बौद्ध काल से पूर्वांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध रहा है।
सिद्धार्थनगर में कटाई का समय
हर वर्ष नवंबर से दिसंबर के बीच काला नमक धान की कटाई शुरू हो जाती है। किसान पहले धान को काटकर खेत में सुखाते हैं ताकि उसमें नमी न रहे और दाने पूरी तरह तैयार हो जाएँ। इस साल भी सिद्धार्थनगर क्षेत्र में काला नमक धान की फसल बहुत अच्छी रही है।
क्यों है यह चावल इतना खास?
भारत ही नहीं, बल्कि विदेशी बाज़ारों में भी काला नमक चावल की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसका अनोखा स्वाद, प्राकृतिक खुशबू और पारंपरिक खेती की विधि इसे एक प्रीमियम वर्ग में रखती है। स्वास्थ्य जागरूक उपभोक्ताओं के बीच भी इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
निष्कर्ष
काला नमक चावल केवल एक फसल नहीं, बल्कि पूर्वांचल की सांस्कृतिक धरोहर और किसानों की मेहनत का प्रतीक है। सिद्धार्थनगर में हार्वेस्टिंग की शुरुआत एक नई उम्मीद और समृद्धि का संकेत देती है।
यदि आप भी प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक चावल की तलाश में हैं, तो काला नमक चावल निश्चित रूप से एक बेहतरीन विकल्प है।